Home राज्यमध्यप्रदेश वीवीआईपी प्रोटोकॉल पर एक साल में 7.5 करोड़ खर्च
Full-Size Image Full-size image

वीवीआईपी प्रोटोकॉल पर एक साल में 7.5 करोड़ खर्च

by

भोपाल । मप्र देश की राजनीति और प्रशासनिक गतिविधियों का केंद्र बनता जा रहा है। इस कारण प्रदेश में वीआईपी मवमेंट लगातार बढ़ रहा है। इस दौरान आने वाले वीआईपी को प्रदेश सरकार द्वारा वीवीआईपी प्रोटोकॉल मुहैया कराया जाता है। जानकारी के अनुसार पिछले एक साले में मप्र सरकार द्वारा वीआईपी मुवमेंट पर प्रोटोकॉल के लिए करीब 7.5 करोड़ रूपए खर्च किए गए हैं।
जानकारी के अनुसार मप्र में वीवीआईपी मूवमेंट पिछले साल की तुलना में काफी बढ़ गया है। एक साल के भीतर दोगुनी संख्या में मप्र में गेस्ट आए हैं। इस दौरान सरकार की तरफ से करीब 1800 लोगों का स्वागत किया गया है। उनके लिए वीवीआईपी प्रोटोकोल की सुविधा सरकार की तरफ से दी गई है। इस दौरान राज्य प्रशासनिक सेवा की अधिकारी और पायलट वाहन सहित गार्ड गाड़ी भी उन्हें दी जाती है। यह प्रोटोकॉल सरकार की तरफ से उन्हें दिया जाता है।

एक साल में दोगुने हुए वीआईपी गेस्ट


मप्र में वीआईपी मूवमेंट किस तरह हो रहा है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रदेश में साल 2022-23 में 952 राज्य अतिथियों और अन्य विशिष्ट लोगों को सुविधा दी गई थी। जबकि साल 2023-24 में 1818 राज्य अतिथियों और विशिष्ट लोगों को सुविधा राज्य सरकार की तरफ से दी गई है। इसमें करीब 7.5 करोड़ रुपए का खर्च हुआ है। भोपाल में आने वाले राज्य अतिथियों के स्वागत के लिए प्रोटोकॉल अधिकारी पुलिस अधिकारी और संबंधित विभाग के अधिकारी के साथ कलेक्टर की जिम्मेदारी होती है। जिले में अगवानी और विदाई के लिए कलेक्टर की तरफ से वरिष्ठ पुलिस अधिकारी या फिर डिप्टी कलेक्टर रैंक के अधिकारी की जिम्मेदारी तय की जाती है। दौरे के दौरान आवास के लिए सर्किट हाउस या वीआईपी गेस्ट हाउस के साथ-साथ होटल की व्यवस्था भी की जाती है। राज्य अतिथि के साथ-साथ एक अतिरिक्त रूम निजी स्टाफ और पीएसओ के लिए भी उपलब्ध कराया जाता है। अतिथि के लिए सरकार भोजन संबंधी भुगतान करती है, शराब का भुगतान स्वयं करना होता है।

सुरक्षा पर अधिक फोकस


मप्र आने के दौरान केंद्र सरकार के अनुसार प्रधानमंत्री राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति की सुरक्षा तय की जाती है। राज्य सरकार को केंद्र के नियमों की मुताबिक की व्यवस्था की जाती है। प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के लिए तीन स्तर की सुरक्षा व्यवस्था जरूरी होती है। प्रधानमंत्री की सुरक्षा एसपीजी के हाथों में होती है। प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति नहीं बल्कि केंद्रीय सतर्कता आयुक्त, केंद्रीय मुख्य निर्वाचन आयुक्त, भारत सरकार के सचिव, भारत रत्न पुरस्कार विजेता, भारत के सॉलिसिटर जनरल, कैबिनेट सचिव, भारत के अटॉर्नी जनरल, भारत का नियंत्रक महालेखाकार परीक्षक, केंद्र शासित प्रदेशों के लेफ्टिनेंट गवर्नर, सेना के प्रमुख, फील्ड मार्शल, मुख्य सूचना आयुक्त अन्य राज्यों के लोकायुक्त को भी राज्य सरकार की तरफ से प्रोटोकॉल दिया जाता है। बताया जाता है कि इन वीआईपी की सुरक्षा पर सबसे अधिक फोकस किया जाता है।

You may also like