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छत्तीसगढ़-जशपुर की दो नाबालिग बच्चियां कर्नाटक से बरामद, काम दिलाने के बहाने मानव तस्करी का खुलासा

by News Desk

जशपुर।

जशपुर जिले के एक परिवार की मासूम बच्चियां अचानक गायब हो गईं। जब पुलिस ने जांच शुरू की, तो इस मामले के पीछे छिपी एक खौफनाक सच्चाई सामने आई। यह एक सुनियोजित मानव तस्करी का मामला था। बागबहार थाना क्षेत्र के एक गांव में रहने वाले किसान दंपति रोज की तरह जंगल में अपनी बकरियां चराने गए थे।

लेकिन जब वे शाम को लौटे, तो उनकी 15 वर्षीय बेटी और 15 वर्षीय भतीजी घर से लापता थीं। परिवार ने गांवभर में खोजबीन की, लेकिन बच्चियों का कोई पता नहीं चला। गांववालों से पूछताछ के बाद पता चला कि मनीराम नामक व्यक्ति, जो टांगरगांव का रहने वाला था, बच्चियों को काम दिलाने के बहाने कर्नाटक ले गया है।

ऑपरेशन मुस्कान की टीम ने बचाया
मामले की गंभीरता को देखते हुए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक शशि मोहन सिंह के निर्देश पर ऑपरेशन मुस्कान के तहत एक विशेष पुलिस टीम बनाई गई। टेक्निकल सर्विलांस और मुखबिरों की मदद से पुलिस को पता चला कि दोनों नाबालिग लड़कियां कर्नाटक के गुलमर्ग जिले में हैं। बिना देर किए, पुलिस टीम कर्नाटक रवाना हुई और ग्राम मादरी, थाना जयमर्गी से दोनों लड़कियों को सुरक्षित बरामद कर लिया। यही नहीं, वहां जशपुर की ही दो और लड़कियां भी मिलीं, जिन्हें बहला-फुसलाकर वहां लाया गया था। पुलिस ने चारों बच्चियों को बचाकर जशपुर लाने में सफलता हासिल की।

आरोपी गिरफ्तार, ऑपरेशन मुस्कान जारी
आरोपी मनीराम पिता अगरसाय (32 वर्ष) को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। उसने कबूल किया कि वह बच्चियों को काम दिलाने के बहाने कर्नाटक लेकर गया था, लेकिन उनके परिवारों को इसकी कोई जानकारी नहीं थी। इस ऑपरेशन में थाना प्रभारी सरोज टोप्पो, निरीक्षक हरिशंकर राम, प्रधान आरक्षक अरविंद साय पैंकरा और आरक्षक यशवंत कुजूर की अहम भूमिका रही।

एक महीने में 24 गुमशुदा बच्चों को ढूंढ निकाला
ऑपरेशन मुस्कान के तहत जशपुर पुलिस ने जनवरी महीने में कुल 24 गुमशुदा बच्चों को उनके परिवारों से मिलवाया। इनमें से 10 बच्चों को झारखंड, महाराष्ट्र, दिल्ली और कर्नाटक से बरामद किया गया। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक शशि मोहन सिंह ने इस कार्रवाई के लिए पुलिस टीम को सम्मानित करने की घोषणा की है। साथ ही, उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि ऑपरेशन मुस्कान के तहत गुमशुदा बच्चों की तलाश जारी रहेगी। जशपुर पुलिस की इस  कार्रवाई ने कई परिवारों को उनका खोया हुआ सुकून वापस दिलाया है। लेकिन यह सवाल अब भी बना हुआ है–आखिर ऐसे मानव तस्कर कब तक मासूमों को अपने जाल में फंसाते रहेंगे?

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